Uski yaad me sab
उसकी याद में सब कुछ भुला बैठे हैं; चिराग खुशियो के बुझा बैठे हैं; हम तो मरेंगे उनकी बाहों में; ये भी शर्त मौत से लगा बैठे हैं!....
सरे माहोल में खुशबू है तेरी यादों की; हम को ग़म-खाने को भी फूलों से सजा रखा है!....
याद आती है जो मरहूम तमन्नाओं की; भूल जाता हूँ के महरूम-इ-तमन्ना हूँ मैं!....
बिखरी हुई राहों से जो गुज़री हम कभी; हार ग़म पर खोयी हुई इक याद मिल गयी!....
कभी तुझे चांदनी रातों में; याद आये जो हम बरसातों में; नफरत ही से लेना नाम मेरा; जो ज़िकर मेरा हो बातों में!....
तेरी याद में हर पल खोया हु मैं; तुझे महसूस कर अकेले रॉय हु मैं; न जाने कब तेरा दीदार हो; इस इंतज़ार में खुली आँखों से सोया हु मैं!.....
बड़ी तब्दीलियां लए हैं हम अपने आप में; लेकिन तुम्हारी याद मैं रहने की आदत, अब्ब भी बक्की है!....
मेरी साँसों को आदत है, तेरी यादों से चलने की; रुक जाएंगी यह सांसें, जिस दिन तुम याद न आओगे!...
कभी किताबो मैं फूल रखना; कभी दरख्तों पे नाम लिखना; हमें भी है याद आज तक वह; नज़र से हर्फ़-इ-सलाम लिखना!...