tanhai mere Dli me
तन्हाई मेरे दिल में समाती चली गई; किस्मत भी अपना खेल दिखती चली गई; मैहकी फिजा कश्मीर खुशबू में जो देखा प्यार को ; बास याद किसी की याद आई और रुलाती चली गई!
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रिश्ता बनाया है तो निभाएंगे, हर पल आपको हसाएंगे-सतायेंगे, पता है आपको तो फुर्सत नहीं याद करने की, हम ही मश्ग कर-कर के अपनी याद दिलाएंगे..
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भूल से अगर कोई भूल हुई, तो भूल समाज के उसे भूल जाना, अरे भूलना सिर्फ भूल को, भूलकर भी हमे न भूल जाना...
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नफरत की धूप मेरे बरसात से पहले; हालात ना थी ऐसी तेरी मुलाकात से पहले; हर किसी को हमदर्द समझ लेते; हम भी कितने सदा मोहब्बतों के तजुर्बो से पहले!....
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वह चाँद है मगर आप से प्यारा तो नहीं; परवाने का शमा के बिन गुज़ारा तो नहीं; मेरे दिल ने सुनी है एक मीठी से आवाज़; क्या अपने मुझे पुकारा तोह नहीं!...
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हर तरफ नूर है खुशबू है; तेरी आँखों में कैसा जादू है; साडी दुनिया है मेरी झोली में; और दुनिया मेरी बस तू ही है!.....
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पास होते हैं जब वो मेरे तो कोई मोज़ू-इ- गुफ्तगू नहीं; दूर होते हैं तो हर गुफ्तगू उन्ही के लिए है!..
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न सर-इ-बाजार दिखाऊंगा न उसको तनहा सोचना; उससे कहना क लौट आये अब, मोहब्बत चार दी मैं ने!...
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पत्थर भी पिघल जाता है प्यार की आंच से;
सच्चे दिल से साथ देने पर नसीब भी बादल जाती
है;
प्यार की राहों में भी मिल जाते है सच्चे हमसफ़र;
कितना भी गिरा हुआ इंसान क्यों न हो भी सम्भल जाता करने के लिए
है!
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Dosto aap ko shayari kaisi lagi comment kar ke jaror bataye...
Dosto galat. Sabso ka paryog. Na kare