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Tuesday, March 1, 2016

akbar birbal ke chutcule rani ki jeet ya har kaise

Birbal ki chaturai ke kisse

एक बार महाराजा अकबर ने रानी के आगे बीरबल की चतुराई की प्रशंसा कर रहे थे । रानी बोली- महराज ,बीरबल कितना ही चतुर क्यों ना हो । पर मुझसे हार जायेगा । महाराजा अकबर ने कहा  ठीक है। परीछा कर लेते है।दूसरे दिन दरबार उठने के बाद महाराज ने बीरबल को महल में बुलवा लिया ।

Mohbbat ya dhoka ye kaisa pyar hai..ye kahani jaror pade

रानी ने बीरबल के लिए सुगन्धित शर्बत और फल मिठाई लाने का आदेश दिया।दासी के जाते ही रानी गिनती गिनने लगी । एक से दस तक गिनकर बोली । अब सर्बत गिलास में तथा मिठाई और फल तश्तरी में रख लिए है।सच मुच दासी सब सामान लिए मौजूद थी । रानी बोली बीरबल देखो हमारा कितना नपा तुला अंदाज़ है।कल हम तुम्हारे यहाँ दावत खाने आएंगे बीरबल ने सोचा रानी स्वयं दावत पर आने को कहे रही है ।जरूर दाल में कुछ काला है।फिर वह सारी बात समझ गए । महराज ने रानी से कहा आप तो बीरबल की परीछा लेने के लिए कह रही थी तो फिर परीछा ली क्यों नही?रानी बोली कल बताउंगी।

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अगले दिन महराज और उनकी पत्नी बीरबल के  घर पहुंचे ।थोड़ी देर के बाद उसने सेवक को खाना लगाने  का आदेश दिया ।रानी बोली -बीरबल  क्या तुम हमारी तरह गिनकर बता सकते हो । खाना कितनी देर में  आ जायेगा ? बीरबल बोले रानी जी .आपके सामने मैं बोलना अच्छा नही समझता । आप गिनिये ,जब आप  रुकेंगी तभी खाना हाजिर हो जायेगा ।रानी के गिनती ख़त्म करते ही खाना आ गया । महराज बोले रानी जी बीरबल आपकी बात भांप गया। आप सर्त हार गई ।तभी बीरबल बोले जीत रानी जी की हुई है  । खाना तो इन्ही के गिनने से आया है । यह सुन रानी ने कहा बीरबल तुम सचमुच दरबार के रत्न हो। हमें हराया भी तो जिताकर।।।।।।

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Dosto galat. Sabso ka paryog. Na kare