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Wednesday, November 25, 2015

कोई ख़ुशी की चाह में रोया

कोई ख़ुशी की चाह में रोया 

कोई दुःख की पनाह में रोया

आजीब सिलसिला है। ये जिंदगी का

कोई भरोसे के लिए रोया

कोई भरोसा कर के रोया।।।।।







छु ले आसमान ज़मीन की तलास न  कर।

जी ले जिंदगी ख़ुशी की तलास न कर ।

तक़दीर बदल जायेगी खुद ही मेरे दोस्त

मुस्कुराना सीख ले वजह की तलास न कर।।।







ठिकाना क़बर है तो इबादात कर मुसाफिर

कहते है खली हाथ किसी के घर जाया नही करते।।।।

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Dosto aap ko shayari kaisi lagi comment kar ke jaror bataye...


Dosto galat. Sabso ka paryog. Na kare