कोई दुःख की पनाह में रोया
आजीब सिलसिला है। ये जिंदगी का
कोई भरोसे के लिए रोया
कोई भरोसा कर के रोया।।।।।
छु ले आसमान ज़मीन की तलास न कर।
जी ले जिंदगी ख़ुशी की तलास न कर ।
तक़दीर बदल जायेगी खुद ही मेरे दोस्त
मुस्कुराना सीख ले वजह की तलास न कर।।।
ठिकाना क़बर है तो इबादात कर मुसाफिर
कहते है खली हाथ किसी के घर जाया नही करते।।।।
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Dosto aap ko shayari kaisi lagi comment kar ke jaror bataye...
Dosto galat. Sabso ka paryog. Na kare