Kar leta hu
कर लेता हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी आस के साथ.. की खुदा नूर भी बरसाता है ... आज़माइशों के बाद
इससे ज्यादा बेरहमी की इन्तहा और क्या होगी ग़ालिब बाप ने लड़के को पीटने की बजाय उसका नेट कनेक्शन बंद करा दिया ।.
हथियार तो सिर्फ सोंख के लिए रखा करते हे खौफ के लिए तो बस नाम ही काफी हे ।
शुबह हुई कि छेडने लगा है सूरज मुझको । कहता है बडा नाज़ था अपने चाँद पर अब बोलो ।।
वो भी आधी रात को निकलता है और मैं भी ...... फिर क्यों उसे चाँद और मुझे आवारा कहते हैं लोग .... ?
गुजर जाएगा ये दौर भी ज़रा इत्मीनान तो रख जब ख़ुशी ही ना ठहरी तो ग़म की क्या औकात है।.
इश्क का धंधा ही बंघ कर दिया साहेब।.... मुनाफे में “जेब” जले.. और घाटे में “दिल”..
जज्ब-ए-इश्क सलामत है तो इन्शा अल्लाह कच्चे धागे में चले आयेंगे सरकार बंधे।..
लाखो की हंसी तुम्हारे नाम कर देंगे ! हर खुशी तुम पे कुर्बान कर देंगे । आये अगर हमारे प्यार मे कोई कमी तो कह देना । इस जिन्दगी को आखरी सलाम कह देंगे
बिकती है ना ख़ुशी कहीं ना कहीं गम बिकता है. लोग गलतफहमी में हैं कि शायद कहीं मरहम बिकता है.
“दम” कपड़ो में नहींजिगर में रखो….बात अगर कपड़ो में होती तोसफ़ेद कफ़न मेंलिपटा हुआ मुर्दा भी “सुल्तान मिर्ज़ा” होता.
इश्क ओर दोस्ती मेरे दो जहान हैइश्क मेरी रुह तो दोस्ती मेरा ईमान हैइश्क पर तो फिदा करदु अपनी पुरी जिंदगीपर दोस्ती पर मेरा इश्क भी कुर्बान है
हर इल्जाम का हकदार वो हमे बना जाते है, हर खता कि सजा वो हमे सुना जाते है, हम हरबार खामोश रह जाते है, क्योकी वो अपना होने का हक जता जाते है.....mor shayari
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Dosto aap ko shayari kaisi lagi comment kar ke jaror bataye...
Dosto galat. Sabso ka paryog. Na kare